Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो जं किंचि अणगं तात ! तं पि सव्वं समीकयं । हिरण्णं ववहाराई, तं पि दाहामु ते वयं || इच्चेव णं सुसेहंति, कालुणिय समुट्ठिया विबद्धो णाइसंगेहि, ततोऽगारं पहावइ ॥ जहा रुक्खं वणे जायं, मालुया पडिबंधइ । एवं णं पडिबंधति, णायओ असमाहिणा || विबद्धो णाइसंगेहि, हत्थी वा वि णवग्गहे । पिट्ठओ परिसप्पंति, सूईगो व्व अदूरगा || एते संगा मणुस्साणं, पायाला व अतारिमा । कीवा जत्थ य कीसंति, णाइसंगेहिं मुच्छिया || तं च भिक्खु परिण्णाय, सव्वे संगा महासवा । जीवियं णाभिकंखेज्जा, सोच्चा धम्ममणुत्तरं || अहिमे संति आवट्टा, कासवेण पवेइया । बुद्धा जत्थावसप्पंति, सीयंति अबुहा जहिं ॥ रायाणो रायमच्चा य, माहणा अदुव खत्तिया । णिमंतयंति भोगेहि, भिक्खुयं साहुजीविणं || हत्थऽस्स-रह-जाणेहिं, विहारगमणेहि य । भुंज भोगे इमे सग्घे, महरिसी पूजयामु तं | वत्थगंधमलंकार, इत्थीओ सयणाणि य ।
भुंजाहिमाई भोगाई, आउसो पूजयामु तं || १८ जो तुमे णियमो चिण्णो, भिक्ख्भावम्मि सव्वया ।
अगारमावसंतस्स, सव्वो संविज्जए तहा || चिरं दूइज्जमाणस्स, दोसो दाणिं कुओ तव ? इच्चेव णं णिमंतेंति, णीवारेण व सूयरं ||
चोइया भिक्खायरियाए, अचयंता जवित्तए । तत्थ मंदा विसीयंति, उज्जाणंसि व दुब्बला ||
अचयंता व लूहेण, उवहाणेण तज्जिया | तत्थ मंदा विसीयंति, पंकसि व जरग्गवा ||
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