Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 53
________________ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो तं सोयकारी य पुढो पवेसे, संखा इमं केवलियं समाहिं ॥ अस्सिं सुठिच्चा तिविहेण तायी, एएस या संति ते एवमक्खंति तिलोगदंसी, ण भुज्जमेयंतु पमायसंगं ॥ णिसम्म से भिक्खु समीहियद्वं, पडिभाणवं होइ विसारए य । आयाणमट्ठी वोदाण मोणं, उवेच्च सुद्धेण उवेइ मोक्खं ॥ संखाय धम्मं च वियागरेंति, बुद्धा ह् ते अंतकरा भवंति । ते पारगा दोण्ह वि मोयणाए, संसोधितं पण्हमुदाहरति ॥ छाणो विलूसएज्जा, माणं ण सेवेज्ज पगासणं च । ण यावि पण्णे परिहास कुज्जा, ण याssसियावाय वियागरेज्जा ॥ भूयाभिसंकाए दुगुंछमाणो ण णिव्वहे मंतपण गोयं । णो ण किंचि मिच्छे मणुए पयासु, असाहुधम्माणि ण संवएज्जा | हासं पिणो संधइ पावधम्मे, ओए तहियं फरुसं वियाणे । तुच्छए णो विकत्थएज्जा, अणाइले या अकसाई भिक्खू || संकेज्ज याऽसंकितभाव भिक्खू, विभज्जवायं च वियागरेज्जा | भासादुगं धम्म-समुट्ठितेहिं वियागरेज्जा समयाssसुपणे ॥ अणुगच्छमाणे वितहं विजाणे, तहा तहा साहु अक्कणं । ण कत्थई भास विहिंसएज्जा, णिरुद्धगं वा वि ण दीहएज्जा ॥ समालवेज्जा पडिपुण्णभासी, णिसामिया समिया अट्ठदंसी । आणाए सुद्धं वयणं भिउंजे, अभिसंधए पावविवेग भिक्खू ॥ अहाबुइयाइं सुसिक्खएज्जा, जएज्ज या णाइवेलं वज्जा । से दिट्ठिमं दिट्ठि ण लूसएज्जा, से जाणइ भासिउं तं समाहिं ॥ अलूसए णो पच्छण्णभासी, णो सुत्तमत्थं च करेज्ज ताई । सत्थारभत्ती अणुवीइ वायं, सुयं च सम्मं पडिवायएज्जा ॥ से सुद्धसुत्ते उवहाणवं च, धम्मं च जे विंदइ तत्थ तत्थ । आदेज्जवक्के कुसले वियत्ते, से अरिहइ भासिउं तं समाहिं ॥ ॥ चउद्दसमं उज्झयणं समत्तं ॥ 49 ॥ त्ति बेमि ॥

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