Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 51
________________ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो १४ | एवं ण से होइ समाहिपत्ते, जे पण्णवं भिक्खु विउक्कसेज्जा । अहवा वि जे लाभमयावलित्ते, अण्णं जणं खिंसइ बालपण्णे || १५ | पण्णामयं चेव तवोमयं च, णिण्णामए गोयमयं च भिक्खू । आजीवगं चेव चउत्थमाहू, से पंडिए उत्तमपोग्गले से || १६ | एयाई मयाई विगिंच धीरा, ण ताणि सेवंति सुधीरधम्मा । ते सव्वगोत्तावगया महेसी, उच्च अगोत्तं च गई वयंति || भिक्खू मुयच्चे तह दिधम्मे, गामं च णगरं च अणुप्पविस्सा | से एसणं जाणमणेसणं च, अण्णस्स पाणस्स अणाणुगिद्धे || १८ | अरइं रइं च अभिभूय भिक्खू, बहुजणे वा तह एगचारी । एगंतमोणेण वियागरेज्जा, एगस्स जंतो गइरागई य || सयं समेच्चा अदुवा वि सोच्चा, भासेज्ज धम्म हिययं पयाणं । जे गरहिया सणियाणप्पओगा, ण ताणि सेवंति सुधीरधम्मा ॥ केसिंचि तक्काइ अबुज्झभावं खुदं पि गच्छेज्ज असद्दहाणे | आउस्स कालाइयारं वघाए, लद्धाणुमाणे य परेसु अट्टे || २१ कम्मं च छंदं च विंगिंच धीरे, विणएज्ज उ सव्वओ आयभावं । रूवेहिं लुप्पंति भयावहेहिं, विज्जं गहाय तसथावरेहि || ण पूयणं चेव सिलोगकामी, पियमप्पियं कस्सवि णो करेज्जा । सव्वे अणद्वे परिवज्जयंते, अणाउले या अकसाइ भिक्खू ॥ २३ | आहत्तहियं समुपेहमाणे, सव्वेहिं पाणेहिं णिहाय दंडं । णो जीवियं णो मरणाभिकंखी, परिव्वएज्जा वलयाविमुक्के || त्ति बेमि || ॥ तेरसमं उज्झयणं समत्तं ॥ चउद्दसमं अज्झयणं गंथो |१| गंथं विहाय इह सिक्खमाणो, उट्ठाय सुबंभचेरं वसेज्जा । ओवायकारी विणयं सुसिक्खे, जे छेय विप्पमायं ण कुज्जा |

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