Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ १३ अणेलिसस्स खेयण्णे, ण विरुज्ेझज्ज केइ । मणसा वयसा चेव, कायसा चेव चक्खुमं ॥ १४ १५ | १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो २५ से हु चक्खू मणुस्साणं, जे कंखाए य अंतए । अंतेण खुरो वहइ, चक्कं अंतेण लोदृइ ॥ अंताणि धीरा सेवंति, तेण अंतकरा इहं । इह माणुस्सए ठाणे, धम्माराहिउं णरा ॥ णिट्ठियट्ठा व देवा वा, उत्तरीए इमं सुयं । सुयं च मेयमेगेसिं, अमणुस्सेसु णो तहा ॥ अंतं करेंति दुक्खाणं, इहमेगेसिं आहियं । आघायं पुण एगेसिं, दुल्लहेऽयं समुस्सए || इओ विद्धंसमाणस्स, पुणो संबोहि दुल्लहा । दुल्लहाओ तहच्चाओ जे धम्मट्ठे वियागरे ॥ जे धम्मं सुद्धमक्खंति, पडिपुण्णमणेलिसं । अणेलिसस्स जं ठाणं, तस्स जम्मकहा कओ ॥ कओ कयाइ मेहावी, उप्पज्जंति तहागया । तहागया य अपडिण्णा, चक्खु लोगस्सऽणुत्तरा ॥ अणुत्तरे य ठाणे से, कासवेण पवेइए । जं किच्चा णिव्वुडा एगे, णिट्ठे पावंति पंडिया || पंडिए वीरियं लद्धुं, णिग्घायाय पवत्तगं । धुणे पुव्वकडं कम्मं, णवं चाविण कुव्वइ ॥ ण कुव्वइ महावीरे, अणुपुव्वकडं रयं । रसा सम्महीभूता, कम्मं हेच्चाण जं मयं ॥ जं मयं सव्वसाहूणं, तं मयं सल्लगत्तणं । साहइत्ताण तं तिण्णा, देवा वा अभविंसु ते ॥ अभविंसु पुरा वीरा, आगमिस्सा वि सुव्वया । दुण्णिबोहस्स मग्गस्स, अंतं पाउकरा तिण्णे ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ पण्णरसमं उज्झयणं समत्तं ॥ 51

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105