Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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१३ अणेलिसस्स खेयण्णे, ण विरुज्ेझज्ज केइ । मणसा वयसा चेव, कायसा चेव चक्खुमं ॥
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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो
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से हु चक्खू मणुस्साणं, जे कंखाए य अंतए । अंतेण खुरो वहइ, चक्कं अंतेण लोदृइ ॥
अंताणि धीरा सेवंति, तेण अंतकरा इहं । इह माणुस्सए ठाणे, धम्माराहिउं णरा ॥
णिट्ठियट्ठा व देवा वा, उत्तरीए इमं सुयं । सुयं च मेयमेगेसिं, अमणुस्सेसु णो तहा ॥
अंतं करेंति दुक्खाणं, इहमेगेसिं आहियं । आघायं पुण एगेसिं, दुल्लहेऽयं समुस्सए || इओ विद्धंसमाणस्स, पुणो संबोहि दुल्लहा । दुल्लहाओ तहच्चाओ जे धम्मट्ठे वियागरे ॥
जे धम्मं सुद्धमक्खंति, पडिपुण्णमणेलिसं । अणेलिसस्स जं ठाणं, तस्स जम्मकहा कओ ॥
कओ कयाइ मेहावी, उप्पज्जंति तहागया । तहागया य अपडिण्णा, चक्खु लोगस्सऽणुत्तरा ॥
अणुत्तरे य ठाणे से, कासवेण पवेइए ।
जं किच्चा णिव्वुडा एगे, णिट्ठे पावंति पंडिया ||
पंडिए वीरियं लद्धुं, णिग्घायाय पवत्तगं । धुणे पुव्वकडं कम्मं, णवं चाविण कुव्वइ ॥
ण कुव्वइ महावीरे, अणुपुव्वकडं रयं । रसा सम्महीभूता, कम्मं हेच्चाण जं मयं ॥ जं मयं सव्वसाहूणं, तं मयं सल्लगत्तणं । साहइत्ताण तं तिण्णा, देवा वा अभविंसु ते ॥
अभविंसु पुरा वीरा, आगमिस्सा वि सुव्वया । दुण्णिबोहस्स मग्गस्स, अंतं पाउकरा तिण्णे ॥ त्ति बेमि ॥
॥ पण्णरसमं उज्झयणं समत्तं ॥
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