Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो ३ बाहू पकत्तंति य मूलओ से, थूलं वियासं मुहे आडहति ।
रहंसि जुत्तं सरयंति बालं, आरुस्स विज्झंति तुदेण पिढे || अयं व तत्तं जलियं सजोइं, तओवमं भूमिमणुक्कमंता ।
ते डज्झमाणा कलुणं थणंति, उसुचोड्या तत्तजुगेसु जुत्ता || 5 बाला बला भूमिमणुक्कमंता, पविज्जलं लोहपहं व तत्तं |
जंसीऽभिदुग्गंसि पवज्जमाणा, पेसे व दंडेहिं पुरा करेंति ॥ ते संपगाढंसि पवज्जमाणा, सिलाहिं हम्मंतिऽभिपातिणीहिं । संतावणी णाम चिरद्विईया, संतप्पड़ जत्थ असाहुकम्मा | कंदूसु पक्खिप्प पयंति बालं, ततो विडड्ढा पुण उप्पयंति ।
ते उड्ढकाएहिं पखज्जमाणा, अवरेहिं खज्जंति सणप्फएहिं || ८ समूसियं णाम विधूमठाणं, जं सोयतत्ता कलुणं थणंति ।
अहो सिरं कट्टु विगत्तिऊणं, अयं व सत्थेहिं समोसवेंति ॥ समूसिया तत्थ विसूणियंगा, पक्खीहिं खज्जंति अयोमुहेहिं । संजीवणी णाम चिरदिईया, जंसी पया हम्मइ पावचेया || तिक्खाहिं सूलाहिं भितावयंति, वसोगयं सावययं व लद्धं । ते सूलविद्धा कलुणं थणंति, एगंतदुक्खं दुहओ गिलाणा | सया जलं ठाण णाम महंतं, जंसी जलंतो अगणी अकट्ठो । चिट्ठति बद्धा बहकरकम्मा, अरहस्सरा केइ चिरद्विईया || चिया महंतीउ समारभित्ता, छुब्भंति ते तं कलुणं रसंतं ।
आवदृइ तत्थ असाहुकम्मा, सप्पी जहा पडियं जोइमज्झे ॥ १३ सया कसिणं पुण घम्मठाणं, गाढोवणीयं अइदुक्खधम्म ।
हत्थेहिं पाएहि य बंधिऊणं, सत्तुं व दंडेहि समारभंति ॥ भंजंति बालस्स वहेण पुट्ठी, सीसं पि भिंदंति अयोघणेहिं ।
ते भिण्णदेहा फलगं व तच्छा, तत्ताहिं आराहिं णियोजयंति ॥ १५ | अभिमुंजिया रुद्द असाहकम्मा उसुचोइया हत्यिवहं वहति ।।
एगं दुरुहित्तु दुए तओ वा, आरुस्स विज्झंति ककाणओ से || १६ | बाला बला भूमि मणुक्कमंता, पविज्जलं कंटइलं महंतं ।
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