Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 31
________________ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो से सुच्चइ णगरवहे व सद्दे, दुहोवणीयाणि पयाणि तत्थ । उदिण्णकम्माण उदिण्णकम्मा, पुणो पुणो ते सरहं दुहेति || पाणेहि णं पाव विओजयंति, तं भे पवक्खामि जहातहेणं । दंडेहिं तत्था सरयंति बाला, सव्वेहिं दंडेहिं पुराकएहिं ॥ २० ते हम्ममाणा णरए पडंति, पुण्णे दुरुवस्स महब्भितावे । ते तत्थ चिट्ठति दुरूवभक्खी, तुटूंति कम्मोवगया किमीहिं || सया कसिणं पुण घम्मठाणं, गाढोवणीयं अइदुक्खधम्म । अंदूसु पक्खिप्प विहत्तु देहं, वेहेण सीसं सेऽभितावयंति || २२ | छिंदंति बालस्स खुरेण णक्कं, उट्टे वि छिंदंति दुवे वि कण्णे । जिब्भं विणिक्कस्स विहत्थिमेत्तं, तिक्खाहिं सलाहिं भितावयंति ॥ ते तिप्पमाणा तलसंपुडं व, राइंदियं जत्थ थणंति बाला | गलंति ते सोणियपूयमंसं, पज्जोइया खारपइद्धियंगा || जड़ ते सुया लोहियपूयपाई, बालागणीतेयगुणा परेणं । कुम्भी महंताहियपोरुसीया, समूसिया लोहियपूयपुण्णा ॥ २५ | पक्खिप्प तासु पययंति बाले, अदृस्सरं ते कलुणं रसंते । तण्हाइया ते तउ तंबतत्तं, पज्जिज्जमाणाऽदृतरं रसंति || अप्पेण अप्पं इह वंचइत्ता, भवाहमे पव्वसते सहस्से । चिट्ठति तत्था बहुकूरकम्मा, जहा कडे कम्म तहा सि भारे || समज्जिणित्ता कलुसं अणज्जा, इटेहिं कंतेहि य विप्पहूणा | ते दुब्भिगंधे कसिणे य फासे, कम्मोवगा कुणिमे आवसंति || || पढमो उद्देसो समत्तो || बीओ उद्देसो |१| अहावरं सासयदुक्खधम्म, तं भे पवक्खामि जहातहेणं । बाला जहा दुक्कडकम्मकारी, वेदेति कम्माई पुरेकडाइं ॥ २] हत्थेहिं पाएहि य बंधिऊणं, उदरं विकत्तंति खुरासिएहिं । गिण्हित्तु बालस्स विहण्ण देहं, वद्धं थिरं पिट्ठओ उद्धरंति || 27

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