Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो राओ वि उठ्ठिया संता, दारगं संठवेंति धाई वा । सुहिरीमणा वि ते संता, वत्थधुवा हवंति हंसा वा || एवं बहुहिं कयपुव्वं, भोगत्थाए जेऽभियावण्णा | दासे मिए व पेस्से वा, पसुभूए वा से ण वा केइ ॥ एयं खु तासु विण्णप्पं, संथवं संवासं च वज्जेज्जा । तज्जाइया इमे कामा, वज्जकरा य एवमक्खाया || एवं भयं ण सेयाए, इति से अप्पगं णिरुंभित्ता । णो इत्थिं णो पसुं भिक्खू, णो सयंपाणिणा णिलिज्जेज्जा | सुविसुद्धलेस्से मेहावी, परकिरियं च वज्जए णाणी । मणसा वयसा कायेणं, सव्वफाससहे अणगारे || इच्चेवमाहु से वीरे, धुयरए धुयमोहे से भिक्खू । तम्हा अज्झत्थविसुद्धे, सुविमुक्के आमोक्खाए परिव्वएज्जासि ||
-त्ति बेमि ॥
|| बीओ उद्देसो समत्तो ||
॥ चउत्थं अज्झयणं समत्तं ॥
पंचमं अज्झयणं णरय विभति
पढमो उद्देसो
१] पुच्छिंसु हं केवलियं महेसिं, कहऽभितावा णरगा पुरत्था ।
अजाणओ मे मुणि बूहि जाणं, कहं णु बाला णरगं उर्वति || 7 एवं मए पुढे महाणुभागे, इणमब्बवी कासवे आसुपण्णे |
पवेदइस्सं दुहमट्ठदुग्गं, आदीणियं दुक्कडियं पुरत्था ॥ ३ जे केइ बाला इह जीवियट्ठी, पावाई कम्माई करेंति रुद्दा ।
ते घोररूवे तिमिसंधयारे, तिव्वाभितावे णरए पडंति || ४] तिव्वं तसे पाणिणो थावरे य, जे हिंसइ आयसुहं पडुच्च ।
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