Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो २४ | आयगुत्ते सया दंते, छिण्णसोए अणासवे | जे धम्मं सुद्धमक्खाइ, पडिपुण्णमणेलिसं || तमेव अवियाणंता, अबुद्धा बुद्धमाणिणो । बुद्धा मो त्ति य मण्णंता, अंतए ते समाहिए || ते य बीओदगं चेव, तमुद्दिस्सा य जं कडं । भोच्चा झाणं झियायंति, अखेयण्णा असमाहिया ॥ जहा ढंका य कंका य, कुलला मग्गुका सिही । मच्छेसणं झियायंति, झाणं ते कलुसाधमं | एवं तु समणा एगे, मिच्छद्दिहि अणारिया । विसएसणं झियायंति, कंका वा कलुसाहमा || २९ | सुद्धं मग्गं विराहित्ता, इहमेगे उ दुम्मई । उम्मग्गगया दुक्खं, घायमेसंति ते तहा || जहा आसाविणिं णावं, जाइअंधे दुहिया । इच्छइ पारमागंतु, अंतरा य विसीयइ || एवं तु समणा एगे, मिच्छद्दिट्ठि अणारिया । सोयं कसिणमावण्णा, आगंतारो महब्भयं | इमं च धम्ममादाय, कासवेण पवेइयं । तरे सोयं महाघोरं, अत्तत्ताए परिव्वए | विरए गामधम्मेहं, जे केइ जगई जगा | तेसिं अत्तुवमायाए, थामं कुव्वं परिव्वए || अइमाणं च मायं च, तं परिणाय पंडिए | सव्वमेयं णिराकिच्चा, णिव्वाणं संधए मुणी || संधए साहधम्मं च, पावं धम्म णिराकरे । उवहाणवीरिए भिक्खू, कोहं माणं ण पत्थए | ३६ | जे य बुद्धा अइक्कंता, जे य बुद्धा अणागया । संति तेसिं पइट्ठाणं, भूयाणं जगई जहा || अह णं वयमावण्णं, फासा उच्चावया फुसे । ण तेसु विणिहण्णेज्जा, वारणेव महागिरी || ३८ संवुडे से महापण्णे, धीरे दत्तेसणं चरे । 43

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105