Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 40
________________ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो सव्वं तं णाणुजाणंति, आयगुत्ता जिइंदिया | २२ | जे याऽबुद्धा महाभागा, वीरा असम्मत्तदंसिणो | असुद्धं तेसिं परक्कंतं, सफलं होइ सव्वसो || जे य बुद्धा महाभागा, वीरा सम्मत्तदंसिणो | सुद्धं तेसिं परक्कंतं, अफलं होइ सव्वसो || तेसि पि तवो सुद्धो, णिक्खंता जे महाकुला । जं णेवण्णे वियाणंति, ण सिलोगं पवेयए || अप्पपिंडासि पाणासि, अप्पं भासेज्ज सुव्वए | खंतेऽभिणिव्वुडे दंते, वीतगेही सया जए || झाणजोगं समाहटु, कायं विउसेज्ज सव्वसो | तितिक्खं परमं णच्चा, आमोक्खाए परिव्वएज्जासि || त्ति बेमि || ॥ अट्ठम अज्झयणं समत्तं || णवमं अज्झयणं धम्मो कयरे धम्मे अक्खाए, माहणेण मईमया । अंजू धम्मं अहातच्चं, जिणाणं तं सुणेह मे || माहणा खत्तिया वेस्सा, चंडाला अदु बोक्कसा | एसिया वेसिया सुद्दा, जे य आरंभणिस्सिया || परिग्गहे णिविट्ठाणं, वेरं तेसिं पवड्ढइ । आरंभसंभिया कामा, ण ते दुक्खविमोयगा || आघायकिच्चमाहेउं, णायओ विसएसियो । अण्णे हरंति तं वित्तं, कम्मी कम्मेहं किच्चइ ॥ माया पिया ण्हुसा भाया, भज्जा पुत्ता य ओरसा । णालं ते तव ताणाए, लुप्पंतस्स सकम्मुणा || एयमद्वं सपेहाए, परमट्ठाणुगामियं । ५ ६

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