Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 36
________________ २९ २ 3 ४ ५ ६ 18 |१० ११ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुखंधो सोच्चा य धम्मं अरहंतभासियं समाहियं अट्ठपओवसुद्धं । तं सद्दहंता य जणा अणाऊ, इंदा व देवाहिव आगमिस्संति ॥ त्ति बेमि ॥ सत्तमं अज्झयणं कुसील परिभासियं पुढवी य आऊ अगणी य वाऊ, तणरुक्खबीया य तसा य पाणा | जे अंडया जे य जराउ पाणा, संसेयया जे रसयाभिहाणा ॥ एयाइं कायाइं पवेइयाइं, एएस जाण पडिलेह सायं । एएहिं कायेहि य आयदंडे, एएस या विप्परियासुविंति ॥ जाईपहं अणुपरियट्टमाणे, तसथावरेहिं विणिघायमेइ । से जाइ-जाइं बहूकूरकम्मे, जं कुव्वइ मिज्जइ तेण बाले ॥ अस्सिं च लोए अदुवा परत्था, सयग्गसो वा तह अण्णा वा । संसारमावण्ण परं परं ते, बंधंति वेयंति य दुणियाइं ॥ जे मायरं च पियरं च हिच्चा, समणव्वए अगणिं समारभेज्जा । अहाहु से लोए कुसीलधम्मे, भूयाइं जे हिंसइ आयसाते ॥ उज्जालओ पाण तिवायएज्जा, णिव्वावओ अगणिं तिवायइज्जा । तम्हा उ मेहावी समिक्ख धम्मं, ण पंडिए अगणिं समारभेज्जा ॥ पुढवी वि जीवा आउ वि जीवा, पाणा य संपाइम संपयंति । संसेइया कट्ठसमस्सिया य, एते दहे अगणिं समारभंते ॥ हरियाणि भूयाणि विलंबगाणि, आहारदेहाइं पुढो सियाइं । जे छिंदइ आयसुहं पडुच्च, पागब्भि पाणे बहुणं तिवाई ॥ जाइं च वुड्ड्द्धं च विणासयंते, बीयाइ अस्संजय आयदंडे । अहाहु से लोए अणज्जधम्मे, बीयाइ जे हिंसइ आयसाते ॥ गब्भाइ मिज्जंति बुयाऽबुयाणा, णरा परे पंचसिहा कुमारा । जुवाणगा मज्झिम थेरगा य, चयंति ते आउक्खए पलीणा ॥ संबुज्झहा जंतवो माणुसत्तं, दडुं भयं बालिसेणं अलंभो । एतदुक्खे जरिए व लोए, सकम्मुणा विप्परियासुवेइ ॥ 32

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