Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ १ R सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो अवि तेयसाऽभितावणाइं, तच्छिय खारसिंचणाइं च ॥ अदु कण्ण णासियाछेज्जं, कंठच्छेयणं तितिक्खति । इति एत्थ पावसंतत्ता, ण य बेंति पुणो ण काहिंति ॥ सुयमेयमेवमेगेसिं, इत्थीवेदे वि हु सुअक्खायं । एवं पिता वदित्ताणं, अदुवा कम्मुणा अवकरेंति ॥ अण्णं मणेण चिंतेंति, अण्णं वायाइ कम्मुणा अण्णं । तम्हा ण सद्दहे भिक्खू, बहुमायाओ इत्थिओ णच्चा ॥ जुवती समणं बूया, विचित्तलंकारवत्थगाणि परिहेत्ता । विरया चरिस्स हं लूहं, धम्ममाइक्ख णे भयंतारो ॥ अदु साविया पवाएणं, अहमंसि साहम्मिणी समणाणं । कुम्भे जहा उवज्जोई, संवासे विऊ विसीएज्जा | जउकुम्भे जोइमुवगूढे, आसुभितत्ते णासमुवयाइ । एवित्थियाहिं अणगारा, संवासेण णासमुवयंति ॥ कुव्वंति पावगं कम्मं, पुट्ठा वेगे एवमाहंसु । णोहं करेमि पावं ति, अंकेसाइणी ममेस त्ति ॥ बालस्स मंदयं बीयं, जं च कडं अवजाणइ भुज्जो । दुगुणं करेइ से पावं, पूयणकामो विसण्णेसी ॥ संलोकणिज्जमणगारं, आयगयं णिमंतणेणाऽऽहं वत्थं व ताइ ! पायं वा, अण्णं पाणगं पडिग्गाहे ॥ । णीवारमेयं बुज्झेज्जा, णो इच्छे अगारमागंतुं । बद्धे विसयपासेहिं, मोहमावज्जइ पुणो मंदे ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ पढमो उद्देसो समत्तो ॥ बीओ उद्देसो ओए सया ण रज्जेज्जा, भोगकामी पुणो विरज्जेज्जा | भोगे समणाणं सुणेह, जह भुंजंति भिक्खुणो एगे ॥ अह तं तु भेदमावण्णं, मुच्छियं भिक्खुं काममइवट्टं । पलिभिंदियाण तो पच्छा, पादुद्धट्टु मुद्धिं पहणंति ॥ 23

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105