Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो अवि तेयसाऽभितावणाइं, तच्छिय खारसिंचणाइं च ॥
अदु कण्ण णासियाछेज्जं, कंठच्छेयणं तितिक्खति । इति एत्थ पावसंतत्ता, ण य बेंति पुणो ण काहिंति ॥ सुयमेयमेवमेगेसिं, इत्थीवेदे वि हु सुअक्खायं । एवं पिता वदित्ताणं, अदुवा कम्मुणा अवकरेंति ॥
अण्णं मणेण चिंतेंति, अण्णं वायाइ कम्मुणा अण्णं । तम्हा ण सद्दहे भिक्खू, बहुमायाओ इत्थिओ णच्चा ॥
जुवती समणं बूया, विचित्तलंकारवत्थगाणि परिहेत्ता । विरया चरिस्स हं लूहं, धम्ममाइक्ख णे भयंतारो ॥
अदु साविया पवाएणं, अहमंसि साहम्मिणी समणाणं । कुम्भे जहा उवज्जोई, संवासे विऊ विसीएज्जा |
जउकुम्भे जोइमुवगूढे, आसुभितत्ते णासमुवयाइ । एवित्थियाहिं अणगारा, संवासेण णासमुवयंति ॥
कुव्वंति पावगं कम्मं, पुट्ठा वेगे एवमाहंसु । णोहं करेमि पावं ति, अंकेसाइणी ममेस त्ति ॥
बालस्स मंदयं बीयं, जं च कडं अवजाणइ भुज्जो । दुगुणं करेइ से पावं, पूयणकामो विसण्णेसी ॥ संलोकणिज्जमणगारं, आयगयं णिमंतणेणाऽऽहं वत्थं व ताइ ! पायं वा, अण्णं पाणगं पडिग्गाहे ॥
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णीवारमेयं बुज्झेज्जा, णो इच्छे अगारमागंतुं । बद्धे विसयपासेहिं, मोहमावज्जइ पुणो मंदे ॥ त्ति बेमि ॥
॥ पढमो उद्देसो समत्तो ॥
बीओ उद्देसो
ओए सया ण रज्जेज्जा, भोगकामी पुणो विरज्जेज्जा | भोगे समणाणं सुणेह, जह भुंजंति भिक्खुणो एगे ॥
अह तं तु भेदमावण्णं, मुच्छियं भिक्खुं काममइवट्टं । पलिभिंदियाण तो पच्छा, पादुद्धट्टु मुद्धिं पहणंति ॥
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