Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो तं च भिक्खू परिण्णाय, सुव्वए समिए चरे । मुसावायं विवज्जेज्जा अदिण्णादाणं च वोसिरे ॥ २० | उड्ढमहे तिरियं वा, जे केई तस थावरा । सव्वत्थ विरई कुज्जा, संति णिव्वाणमाहियं || इमं च धम्ममादाय, कासवेण पवेइयं । कुज्जा भिक्खू गिलाणस्स, अगिलाए समाहिए || संखाय पेसलं धम्म, दिहिमं परिणिव्वुडे । उवसग्गे णियामित्ता, आमोक्खाए परिव्वएज्जासि || त्ति बेमि || || चउत्थो उद्देसो समत्तो || ॥ तइयं उज्झयणं समत्तं ॥ चउत्थं अज्झयणं इत्थि परिण्णा पढमो उद्देसो १ जे मायरं च पियरं च, विप्पजहाय पव्वसंजोगं । एगे सहिए चरिस्सामि, आरयमेहुणे विवित्तेसु || सुहुमेण तं परक्कम्म, छण्णपएण इत्थिओ मंदा । उवायं पि ताओ जाणंति, जह लिस्संति भिक्खुणो एगे || पासे भिसं णिसीयंति, अभिक्खणं पोसवत्थं परिहिंति । कायं अहे वि दंसेंति, बाहमुट्ठ कक्खमणुवज्जे ॥ सयणासणेहिं जोगेहिं, इत्थीओ एगया णिमंतेंति । एयाणि चेव से जाणे, पासाणि विरूवरूवाणि || णो तासु चक्खु संधेज्जा, णो वि य साहसं समभिजाणे । णो सहियं पि विहरेज्जा, एवमप्पा सुरक्खिओ होइ ॥ आमंतिय ओसवियं वा, भिक्खं आयसा णिमंतेति । एयाणि चेव से जाणे, सदाणि विरूवरूवाणि ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105