Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 24
________________ ५ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो तत्थ मंदा विसीयंति, वाहछिण्णा व गद्दभा । पिट्ठओ परिसप्पंति, पीढसप्पी व संभमे || इहमेगे उ भासंति, सायं सायेण विज्जइ । जे तत्थ आरियं मग्गं, परमं च समाहियं ॥ मा एयं अवमण्णंता, अप्पेणं लुम्पहा बहुं । एयस्स अमोक्खाए, अयोहारिव्व जूरह || पाणाइवाए वढ्ता, मुसावाए असंजया । अदिण्णादाणे वढंता, मेहुणे य परिग्गहे || एवमेगे उ पासत्था, पण्णवेंति अणारिया । इत्थीवसं गया बाला, जिणसासणपरम्मुहा ॥ जहा गंडं पिलागं वा, परिपीलेज्ज मुहुत्तगं | एवं विण्णवणित्थीसु, दोसो तत्थ कुओ सिया || जहा मंधादए णाम, थिमियं भुंजइ दगं । एवं विण्णवणित्थीसु, दोसो तत्थ कुओ सिया || १२ | जहा विहंगमा पिंगा, थिमियं भुंजइ दगं । एवं विण्णवणित्थीसु, दोसो तत्थ कुओ सिया ? || एवमेगे उ पासत्था, मिच्छादिट्ठी अणारिया । अज्झोववण्णा कामेहि, पूयणा इव तरुणए || १४ | अणागयमपस्संता, पच्चप्पण्णगवेसगा । ते पच्छा परितप्पंति, खीणे आउम्मि जोव्वणे || जेहिं काले परक्कंतं, ण पच्छा परितप्पए । ते धीरा बंधणुमुक्का, णावकंखंति जीवियं || जहा णई वेयरणी, दुत्तरा इह सम्मया । एवं लोगंसि णारिओ, दुत्तरा अमईमया | जेहिं णारीण संजोगा, पूयणा पिट्ठओ कया । सव्वमेयं णिराकिच्चा, ते ठिया सुसमाहिए || एते ओघं तरिस्संति, समुदं व ववहारिणो । जत्थ पाणा विसण्णासी, किच्चंति सयकम्मुणा ||

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