Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 20
________________ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो ण मे दिवे परे लोए, जइ परं मरणं सिया || संतत्ता केसलोएणं, बंभचेरपराजिया । तत्थ मंदा विसीयंति, मच्छा विट्ठा व केयणे || आयदंडसमायारा, मिच्छासंठियभावणा । हरिसप्पओसमावण्णा, केई लूसंतिऽणारिया || १५ | अप्पेगे पलियंतंसि, चारो चोरो त्ति सुव्वयं । बंधंति भिक्खुयं बाला, कसायवयणेहि य || तत्थ दंडेण संवीते, मुट्ठिणा अदु फलेण वा । णाईणं सरइ बाले, इत्थी वा कुद्धगामिणी || १७ | एते भो कसिणा फासा, फरुसा दुरहियासया | हत्थी वा सरसंवीता, कीवाऽवसा गया गिहं || त्ति बेमि || ॥ पढमं उद्देसो समत्तो || बीओ उद्देसो १] अहिमे सुहुमा संगा, भिक्खूणं जे दुरुत्तरा | जत्थ एगे विसीयंति, ण चयंति जवित्तए || अप्पेगे णायओ दिस्स, रोयंति परिवारिया । पोस णे तात पुट्ठोऽसि, कस्स तात जहासि णे | पिया ते थेरओ तात ! ससा ते खुडिया इमा । भायरो ते सगा तात ! सोयरा किं जहासि णे || मायरं पियरं पोस, एवं लोगो भविस्सइ । एयं खु लोइयं तात ! जे पोसे पिउ-मायरं || उत्तरा महुरुल्लावा, पुत्ता ते तात ! खुड्डगा | भारिया ते णवा तात ! मा सा अण्णं जणं गमे || एहि तात घरं जामो, मा तं कम्मे सहा वयं । बीयं पि तात पासामो, जाम् ताव सयं गिहं ॥ गंतुं तात ! पुणाऽऽगच्छे ण तेणऽसमणो सिया । अकामगं परक्कमंतं, को ते वारेउमरिहइ ||


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