Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो तइअं अज्झयणं उवसग्ग परिण्णा पढमो उद्देसो १ सूरं मण्णइ अप्पाणं, जाव जेयं ण पस्सइ । जुज्झंतं दढधम्माणं, सिसुपालो व महारहं || पयाया सूरा रणसीसे, संगामम्मि उवट्ठिए । माया पुत्तं ण याणाइ, जेएण परिविच्छए || एवं सेहे वि अप्पुढे, भिक्खायरिया अकोविए | सूरं मण्णति अप्पाणं, जाव लूहं ण सेवइ || जया हेमंतमासम्मि, सीयं फसइ सवायगं । तत्थ मंदा विसीयंति, रज्जहीणा व खत्तिया || पुढे गिम्हाभितावेणं, विमणे सुप्पिवासिए । तत्थ मंदा विसीयंति, मच्छा अप्पोदए जहा || सया दत्तेसणा दुक्खं, जायणा दुप्पणोल्लिया । कम्मत्ता दुब्भगा चेव, इच्चाहंसु पुढो जणा || एते सद्दे अचायंता, गामेसु णगरेसु वा । तत्थ मंदा विसीयंति, संगामंसि व भीरुणो | अप्पेगे खुधियं भिक्खु, सुणी दंसइ लूसए | तत्थ मंदा विसीयंति, तेजपुट्ठा व पाणिणो ॥ अप्पेगे पडिभासंति, पडिपंथियमागया । पडियारगया एते, जे एते एवं जीविणो || अप्पगे वइं जुजंति, णगिणा पिंडोलगाऽहमा | मुंडा कंडूविणटुंगा, उज्जल्ला असमाहिया || एवं विप्पडिवण्णेगे, अप्पणा उ अजाणया । तमाओ ते तमं जंति, मंदा मोहेण पाउडा || १२ | पुट्ठो य दंस-मसएहिं, तणफासमचाइया ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105