Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ ३१ ३२ R 3 ४ ५ ९ १० सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो ण हि णूण पुरा अणुस्सुयं, अदुवा तं तह णो समुट्ठियं । मुणिणा सामाइयाहियं णाएण जगसव्वदंसिणा ॥ एवं मत्ता महंतरं, धम्ममिणं सहिया बहू जणा । गुरुणो छंदाणुवत्तगा, विरया तिण्ण महोघमाहियं ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ बीओ उद्देसो समत्तो ॥ तइओ उद्देसो संवुडकम्मस्स भिक्खुणो, जं दुक्खं पुट्ठे अबोहिए । तं संजमओऽवचिज्जइ, मरणं हेच्च वयंति पंडिया || जे विण्णवणाहिऽझोसिया, संतिण्णेहि समं वियाहिया । तम्हा उड्ढं ति पासह, अदक्खू कामाई रोगवं ॥ अग्गं वणिएहिं आहियं, धारेंति राईणिया इहं । एवं परमा महव्वया, अक्खाया उ सराइभोयणा ॥ जे इह सायाणुगा णरा, अज्झोववण्णा कामेसु मुच्छिया । किवणेण समं पगब्भिया, ण वि जाणंति समाहिमाहियं ॥ वाहेण जहा व विच्छए, अबले होइ गवं पचोइए । से अंतसो अप्पथामए, णाइवहइ अबले विसीय ॥ एवं कामेसणं विऊ, अज्ज सुए पयहेज्ज संथवं । कामी कामे ण काम, लद्धे वा वि अलद्ध कण्हुइ || मा पच्छ असाहुया भवे, अच्चेहि अणुसास अप्पगं । अहियं च असाहु सोयइ, से थाइ परिदेवइ बहुं ॥ इह जीवियमेव पासह, तरुणए वाससयाउ तुट्टइ । इत्तरवासे व बुज्झह, गिद्धणरा कामेसु मुच्छिया ॥ जे इह आरंभणिस्सिया, आयदंड एगंत लूसगा । गंता ते पावलोगयं, चिररायं आसुरियं दिसं ॥ ण य संखयमाहु जीवियं, तह वि य बालजणे पगब्भइ । पच्चुप्पण्णेण कारियं, के दट्टु परलोगमागए || 13

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105