Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो जे यावि अणायगे सिया, जे वि य पेसगपेसए सिया । जे मोणपयं उवट्ठिए, णो लज्जे समयं सया चरे ॥
सम अण्णयरम्मि संजमे, संसुद्धे समणे परिव्वए । जे आवकहा समाहिए, दविए कालमकासि पंडिए ॥ दूरं अणुपस्सिया मुणी, तीयं धम्ममणागयं तहा । पुट्ठे फरुसेहिं माहणे, अवि हण्णू समयंसि रीयइ ॥ पण्णसमत्ते सया जए, समया धम्ममुदाहरे मुणी । सुमे उ सया अलूस, णो कुज्झे णो माणि माहणे ॥ बहुजण णमणम्मि संवुडे, सव्वट्ठेहिं णरे अणिस्सिए । हर व सया अणाविले, धम्मं पाउरकासि कासवं ॥
बहवे पाणा पुढो सिया, पत्तेयं समयं समीहिया । जे मोणपयं उवट्ठिए, विरइं तत्थमकासि पंडिए ||
धम्मस्स य पारए मुणी, आरंभस्स य अंतए ठिए । सोयंति य णं ममाइणो, णो य लभंति णियं परिग्गहं ॥
इहलोग दुहावहं विऊ, परलोगे य दुहं दुहावहं । विद्धंसणधम्ममेव तं, इति विज्जं कोऽगारमावसे ॥
महयं परिगोव जाणिया, जा वि य वंदण-पूयणा इहं । सुमे सल्ले दुरुद्धरे, विउमंता पयहेज्ज संथवं ॥
एगे चरे ठाणमासणे, सयणे एगे समाहिए सिया । भिक्खू उवहाणवीरिए, वइगुत्ते अज्झप्पसंवुडे ॥
णो पीहे ण यावपंगुणे, दारं सुण्णघरस्स संजए । पुट्ठे ण उदाहरे वयं, ण समुच्छे णो संथरे तणं ॥ जत्थऽत्थमिए अणाउले, सम-विसमाणि मुणीsहियास । चरगा अदुवा विभेरवा, अदुवा तत्थ सिरीसिवा सिया ॥
तिरिया मणुया य दिव्वगा, उवसग्गा तिविहाऽहियासिया । लोमादीयं पि ण हरिसे, सुण्णागारगए महामणी ॥
णो अभिकंखेज्ज जीवियं, णो वि य पूयणपत्थए सिया । अब्भत्थमुर्वेति भेरवा, सुण्णागारगयस्स भिक्खु ॥
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