Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ ४ ९ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो जे यावि अणायगे सिया, जे वि य पेसगपेसए सिया । जे मोणपयं उवट्ठिए, णो लज्जे समयं सया चरे ॥ सम अण्णयरम्मि संजमे, संसुद्धे समणे परिव्वए । जे आवकहा समाहिए, दविए कालमकासि पंडिए ॥ दूरं अणुपस्सिया मुणी, तीयं धम्ममणागयं तहा । पुट्ठे फरुसेहिं माहणे, अवि हण्णू समयंसि रीयइ ॥ पण्णसमत्ते सया जए, समया धम्ममुदाहरे मुणी । सुमे उ सया अलूस, णो कुज्झे णो माणि माहणे ॥ बहुजण णमणम्मि संवुडे, सव्वट्ठेहिं णरे अणिस्सिए । हर व सया अणाविले, धम्मं पाउरकासि कासवं ॥ बहवे पाणा पुढो सिया, पत्तेयं समयं समीहिया । जे मोणपयं उवट्ठिए, विरइं तत्थमकासि पंडिए || धम्मस्स य पारए मुणी, आरंभस्स य अंतए ठिए । सोयंति य णं ममाइणो, णो य लभंति णियं परिग्गहं ॥ इहलोग दुहावहं विऊ, परलोगे य दुहं दुहावहं । विद्धंसणधम्ममेव तं, इति विज्जं कोऽगारमावसे ॥ महयं परिगोव जाणिया, जा वि य वंदण-पूयणा इहं । सुमे सल्ले दुरुद्धरे, विउमंता पयहेज्ज संथवं ॥ एगे चरे ठाणमासणे, सयणे एगे समाहिए सिया । भिक्खू उवहाणवीरिए, वइगुत्ते अज्झप्पसंवुडे ॥ णो पीहे ण यावपंगुणे, दारं सुण्णघरस्स संजए । पुट्ठे ण उदाहरे वयं, ण समुच्छे णो संथरे तणं ॥ जत्थऽत्थमिए अणाउले, सम-विसमाणि मुणीsहियास । चरगा अदुवा विभेरवा, अदुवा तत्थ सिरीसिवा सिया ॥ तिरिया मणुया य दिव्वगा, उवसग्गा तिविहाऽहियासिया । लोमादीयं पि ण हरिसे, सुण्णागारगए महामणी ॥ णो अभिकंखेज्ज जीवियं, णो वि य पूयणपत्थए सिया । अब्भत्थमुर्वेति भेरवा, सुण्णागारगयस्स भिक्खु ॥ 11

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105