Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 14
________________ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ 18 २ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुखंधो पाणे ण हणंति सव्वसो, पावाओ विरयाऽभिव्वुिड विता अहमेव लुप्पड़, लुप्पंति लोगंसि पाणिणो । एवं सहिएऽहिपासए, अणिहे से पुट्ठोऽहियासए || धुणिया कुलियं व लेववं, किसए देहमणासणाइहिं । अविहिंसामेव पव्वए, अणुधम्मो मुणिणा पवेइओ ॥ सउणी जह पंसुगुंडिया, विहुणिय धंसयइ सियं रयं । एवं दविओवहाणवं, कम्मं खवइ तवस्सि माहणे ॥ उट्ठियमणगारमेसणं, समणं ठाणठियं तवस्सिणं । डहरा वुड्ढा य पत्थए, अवि सुस्से ण य तं लभे जणा ॥ जइ कालुणियाणि कासिया, जइ रोयंति व पुत्तकारणा । दवियं भिक्खुं समुट्ठियं, णो लब्भंति ण संठवित्त || जइ वि य कामेहिं लाविया, जइ णेज्जाहि णं बंधिरं घरं । जइ जीवियं णावकंखए, णो लब्भंति ण संठवित्त ॥ सेहंति य णं ममाइणो, माया पिया य सुया य भारिया । पोसाहि णे पासओ तुमं, लोयं परं पि जहाहि पोसणे ॥ अण्णे अण्णेहिं मुच्छिया, मोहं जंति णरा असंवुडा | विसमं विसमेहिं गाहिया, ते पावेहिं पुणो पगब्भिया || तम्हा दवि इक्ख पंडिए, पावाओ विरएऽभिणिव्वुडे । पणया वीरा महावीहिं, सिद्धिपहं णेयाउयं धुवं ॥ वेयालियमग्गमागओ, मण वयसा काएण संवुडो । चिच्चा वित्तं च णायओ, आरंभं च सुसंवुडे चरे ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ पढमो उद्देसो समत्तो ॥ बीओ उद्देसो तयसं व जहाइ से रयं इति संखाय मुणी ण मज्जइ । गोयण्णतरेण माहणे, अहऽसेयकरी अण्णेसिं इंखिणी ॥ जो परिभवइ परं जणं, संसारे परियत्तइ महं । अदु इंखिणिया उ पाविया, इति संखाय मुणी ण मज्जइ ॥ 10

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