Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो अपरिग्गहे अणारंभे, भिक्ख ताणं परिव्वए ||
कडेसु घासमेसेज्जा, विऊ दत्तेसणं चरे । अगिद्धो विप्पमुक्को य, ओमाणं परिवज्जए || लोगावायं णिसामेज्जा, इहमेगेसिं आहियं । विवरीयपण्णसंभूयं, अण्णवुत्तं तयाणुगं | अणंते णिइए लोए, सासए ण विणस्सइ । अंतवं णिइए लोए, इति धीरोऽतिपासइ ||
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अपरिमाणं वियाणाइ, इहमेगेसि आहियं । सव्वत्थ सपरिमाणं, इति धीरोऽतिपासइ ॥
जे केइ तसा पाणा, चिटुंति अदु थावरा | परियाए अत्थि से अंज, तेण ते तस-थावरा ||
उरालं जगओ जोग, विवज्जासं पलेंति य । सव्वे अक्कंत दुक्खा य, अओ सव्वे अहिंसिया ॥ एवं खु णाणिणो सारं, जं ण हिंसइ किंचणं । अहिंसा समयं चेव, एतावंतं वियाणिया | वुसिए य विगयगेही य, आयाणं संरक्खए | चरियाऽऽसण-सेज्जासु, भत्तपाणे य अंतसो || एतेहिं तिहिं ठाणेहिं, संजए सययं मुणी । उक्कसं जलणं णूमं, मज्झत्थं च विगिंचए || समिए उ सया साहू, पंचसंवरसंवुडे । सिएहिं असिए भिक्खू, आमोक्खाए परिवएज्जासि॥त्ति बेमि ||
॥ चउत्थो उद्देसो समत्तो ||
॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥
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