Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 11
________________ ९ ८ माहणा समणा एगे, आह अंडकडे जगे । असो तत्तमकासी य, अयाणंता मुसं वए ॥ |१० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो R मारेण संथुया माया, तेण जोए असासए || सएहिं परियाएहिं लोयं, बूया कडे त्ति य । तत्तं ते वियाणंती ण, विणासि कयाइ वि ॥ अमणुण्णसमुप्पायं, दुक्खमेव वियाणिया । समुप्पायमयाणंता, कहं णाहिंति संवरं ॥ सुद्धे अपावए आया, इहमेगेसि आहियं । पुणो कीडा-पदोसेणं, से तत्थ अवरज्झइ ॥ इह संवुडे मुणी जाए, पच्छा होइ अपावए । वियडं व जहा भुज्जो, णीरयं सरयं तहा ॥ एयाणुवीए मेहावी, बंभचेरे ण ते वसे । पुढो पावाउया सव्वे, अक्खायारो सयं सयं ॥ सएसए उवट्ठाणे, सिद्धिमेव ण अण्णहा । अहो इहेव वसवत्ती, सव्वकामसमप्पिए || सिद्धा य तो अरोगा य, इहमेगेसिं आहियं । सिद्धिमेव पुराकाउं, सासए गढिया णरा ॥ असंवुडा अणाईयं, भमिहिंति पुणो पुणो । कप्पकालमुवज्जंति, ठाणा आसुर किव्विसिय ॥ त्ति बेमि ॥ तइओ उद्देसो समत्तो ॥ चउत्थो उद्देसो एते जिया भो ! ण सरणं, बाला पंडियमाणिणो । हिच्चा णं पुव्वसंजोगं, सिया किच्चोवएसगा ॥ तं च भिक्खू परिण्णाय, विज्जं तेसु ण मुच्छए । अणुक्कसे अप्पलीणे, मज्झेण मुणि जावए ॥ सपरिग्गहा य सारंभा, इहमेगेसिमाहियं । 7

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