Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 10
________________ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ २ ४ ७ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुखंधो अभिकम्मा य पेसा य, मणसा अणुजाणिया ॥ एते उ तओ आयाणा, जेहिं कीरइ पावगं । एवं भावविसोहीए, णिव्वाणमभिगच्छइ ॥ पुत्तं पिया समारंभ, आहारेज्जा असंजए । भुंजमाणो य मेहावी, कम्मुणा णोवलिप्पइ ॥ मणसा जे पउस्संति, चित्तं तेसिं ण विज्जइ । अणवज्जं अतहं तेसिं, ण ते संवुडचारिणो ॥ इच्चेयाहिं दिट्ठीहिं, सायागारवणिस्सिया । सरणं ति मण्णमाणा, सेवंति पावगं जणा ॥ जहा अस्साविणिं णावं, जाईअंधो दुरुहिया । इच्छइ पारमागंतुं, अंतरा य विसीयइ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छाद्दिट्ठी अणारिया | संसारपारकंखी ते, संसारं अणुपरियहंति |त्ति बेमि॥ ॥ बीओ उद्देसो समत्तो ॥ तइओ उद्देस जं किंचि वि पूइकडं, सड्ढीमागंतुमीहियं । सहस्संतरियं भुंजे, दुपक्खं चेव सेवइ ॥ तमेव अवियाणंता, विसमंसि अकोविया | मच्छा वेसालिया चेव, उदगस्सऽभियागमे ॥२॥ उदगस्सऽप्पभावेणं, सुक्कंमि घातमिंति उ । ढंकेहि व कंकेहिं य, आमिसत्थेहिं ते दुही ॥३॥ एवं 'तु समणा एगे, वट्टमाणसुहेसिणो । मच्छा वेसालिया चेव, घायमेसंतिऽणंतसो ॥४॥ इणमण्णं तु अण्णाणं, इहमेगेसिमाहियं । देवउत्ते अयं लोए, बंभउते त्ति आवरे ॥ ईसरेण कडे लोए, पहाणाए तहावरे । जीवाऽजीवसमाउत्ते, सुह- दुक्खसमणि ॥ भुणाकडे लोए, इइ वुत्तं महेसिणा । 6

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