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सुयगडांग सूत्र - पढमो सुयखंधो
ण हि णूण पुरा अणुस्सुयं, अदुवा तं तह णो समुट्ठियं । मुणिणा सामाइयाहियं णाएण जगसव्वदंसिणा ॥
एवं मत्ता महंतरं, धम्ममिणं सहिया बहू जणा ।
गुरुणो छंदाणुवत्तगा, विरया तिण्ण महोघमाहियं ॥ त्ति बेमि ॥
॥ बीओ उद्देसो समत्तो ॥
तइओ उद्देसो
संवुडकम्मस्स भिक्खुणो, जं दुक्खं पुट्ठे अबोहिए ।
तं संजमओऽवचिज्जइ, मरणं हेच्च वयंति पंडिया ||
जे विण्णवणाहिऽझोसिया, संतिण्णेहि समं वियाहिया । तम्हा उड्ढं ति पासह, अदक्खू कामाई रोगवं ॥
अग्गं वणिएहिं आहियं, धारेंति राईणिया इहं । एवं परमा महव्वया, अक्खाया उ सराइभोयणा ॥
जे इह सायाणुगा णरा, अज्झोववण्णा कामेसु मुच्छिया । किवणेण समं पगब्भिया, ण वि जाणंति समाहिमाहियं ॥
वाहेण जहा व विच्छए, अबले होइ गवं पचोइए । से अंतसो अप्पथामए, णाइवहइ अबले विसीय ॥
एवं कामेसणं विऊ, अज्ज सुए पयहेज्ज संथवं । कामी कामे ण काम, लद्धे वा वि अलद्ध कण्हुइ ||
मा पच्छ असाहुया भवे, अच्चेहि अणुसास अप्पगं । अहियं च असाहु सोयइ, से थाइ परिदेवइ बहुं ॥
इह जीवियमेव पासह, तरुणए वाससयाउ तुट्टइ । इत्तरवासे व बुज्झह, गिद्धणरा कामेसु मुच्छिया ॥
जे इह आरंभणिस्सिया, आयदंड एगंत लूसगा । गंता ते पावलोगयं, चिररायं आसुरियं दिसं ॥
ण य संखयमाहु जीवियं, तह वि य बालजणे पगब्भइ । पच्चुप्पण्णेण कारियं, के दट्टु परलोगमागए ||
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