Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman Publisher: Global Jain Agam Mission View full book textPage 6
________________ R 13 ६ १० ११ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुखंधो पढमो सुयखंधो पढमं अज्झयणं समय पढमो उद्देसो बुज्झिज्ज तिउट्टेज्जा, बंधणं परिजाणिया । किमाह बंधणं वीरो ? किं वा जाणं तिउट्टइ ॥ चित्तमंतमचित्तं वा, परिगिज्झ किसामिव । अण्णं वा अणुजाणाइ, एवं दुक्खा ण मुच्चइ ॥ सयं तिवाय पाणे, अदुवा अण्णेहिं घायए । हणंतं वाऽणुजाणाइ, वेरं वड्ढेइ अप्पणो ॥ जस्सिं कुल समुप्पण्णे, जेहिं वा संवसे णरे । ममाइ लुप्पइ बाले, अण्णमण्णेहिं मुच्छिए ॥ वित्तं सोयरिया चेव, सव्वमेयं ण ताणए । संखाए जीवियं चेव, कम्मुणा उतिउ ॥ एए गंथे विउक्कम्म, एगे समण - माहणा । याता विउस्सित्ता, सत्ता कामेहिं माणवा ॥ संति पंच महब्भूया, इहमेगेसिमाहिया | पुढवी आऊ तेऊ वा, वाऊ आगास पंचमा ॥ एते पंच महब्भूया, तेब्भो एगो त्ति आहिया । अह तेसिं विणासेणं, विणासो होइ देहिणो ॥ जहा य पुढवीथूभे, एगे णाणाहि दीसइ । एवं भो ! कसिणे लोए, विण्णु णाणाहि दीसइ || एवमेगे त्ति जंपंति, मंदा आरंभणिस्सिया । एगे किच्चा सयं पावं, तिव्वं दुक्खं णियच्छइ ॥ पत्तेयं कसिणे आया, जे बाला जे य पंडिया | संति पेच्चा ण ते संति, णत्थि सत्तोववाइया ॥ 2Page Navigation
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