Book Title: Aetihasik Striya Author(s): Devendraprasad Jain Publisher: Digambar Jain Pustakalay View full book textPage 9
________________ शीलम् परभूषणम् पातिव्रत धर्मकी महिमा ताही न बाध भूजंगमको भय, पानी न बोरै न पावक जालै। ताके समीप रहैं सुर किन्नर, सो शुभ रीति करै घट टालें। तासु विवेक बढे घट अन्तर, सो सुरके शिवके सुख भाले। ताकि सुकीरति होय तिहूं जग, जो नर शील अखण्डित पालै॥ -- बनारसीविलास।Page Navigation
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