Book Title: Aetihasik Striya
Author(s): Devendraprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 15
________________ ऐतिहासिक स्त्रियाँ २-श्रीमती सीताजी "श्री जानकी रामनृपस्य देवी, दग्धा न संधुक्षितबह्निना च। देवेशपूज्या भवतिस्म शीला च्छीलं ततोऽहं परिपालयामि॥" रामचंद्रजीका वंश परिचय इक्ष्वाकु वंश, संसारमें सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि भगवान् आदिनाथ तीर्थंकर इसी वंशमें उत्पन्न हुए थे। इनके अतिरिक्त अन्यान्य तेजस्वी महाप्रतापी राजर्षिगणने भी, इस वंशकी कीर्ति, अपनी विरता, सदाचारिता और धर्मपरायणतादि गुणोंसे चिरस्थायिनी की हैं। इसी प्रशस्त इक्ष्वाकु वंशमें, कालक्रमानुसार, राजोचित समस्त गुण सम्पन्न, "अरण्य" नामक राजा उत्पन्न हुए तथा इन अरण्य नृपतिके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा दशरथ थे। यद्यपि महाराजा दशरथके अन्तःपुर (रनवास) में बहुतसी रानियां थी, पर उन सबोमें कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी और सुप्रभा ये चार रानियां ही प्रधान रानी थी। इन्हीं चार रानियोंसे क्रमसे रामचंद्र, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न इन चार पुत्र-रत्नोंका जन्म हुआ था। इन पुत्रोंके इनके योग्य पिताने बाल्यकाल ही में सुरिक्षित किया। राजकुमारोंके योग्य जो जो विद्यायें उपर्युक्त होती हैं, उन सब विद्या और कलाओंमें उन्हें निपुण बनाया। इस शिक्षाके प्रभावसे इन राजकुमारोंमें नैतिक बल, समीचीन साहस, कर्तव्यपराणतादि गुणोंका सन्निवेश वास्तविक था। यही कारण है कि इनका

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