Book Title: Aetihasik Striya
Author(s): Devendraprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ रानी अंजनासुन्दरी [55 चरित्रसे आम कल्याणके अभिलाषी मनुष्य आत्म कल्याण कर सकते हैं। और लोगोमें ख्यातिके चाहनेवाले नर ख्याति लाभ कर सकते हैं। विपत्तिमें साहसहीन न होना, एकबार कार्यमें सफलता प्राप्त न करने पर भी कार्यमें तत्पर रहना, इस बातकी शिक्षा हमें इस चरित्रसे मिल सकती है। कर्मोका खेल, मनुष्य स्वभावकी परिस्थिति, पतिव्रतकी रक्षा और एक अबलाका साहस इस चरित्रमें मिल सकता है। चतुर स्त्रियां इस चरित्रको अनुशीलन करनेसे मानव जन्मको सफल कर सकती हैं और उसी पदको पा सकता हैं जिस पदको कि अंजनादिकने प्राप्त किया है। हमें आशा और विश्वास होता है कि ऐसे चरित्रोंका अगर हमारे जैन समाजकी अबलाओं पर अच्छा प्रभाव पड़े और वे इनके थोडी भी शिक्षा ग्रहण करें तो वे संसारका उद्धार करनेवाली देवियां कहलावेंगी और अपने चरित्रसे संसारको चकित करेंगी। हमें सच्चा भरोसा है कि जिस दिन हमारे यहांका अबला समाज ऐसे ऐसे चरित्रों का अनुशीलन और मनन करेगी उसी दिन हिन्दु समाजका ही नहीं किन्तु समस्त संसारका एक नवीन जीवन प्रभातका उदय होगा और उन्नतिके युगका प्रारम्भ होगा। mamom

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82