Book Title: Aetihasik Striya
Author(s): Devendraprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 47
________________ 38 ] ऐतिहासिक स्त्रियाँ आज ही नहीं पहले जमानेमें भी इस पृथ्वी मण्डल पर ऐसे२ नराधमोंने जन्म लेकर मानव समाजके इतिहासकी कलंकित किया हैं अन्तर केवल इतना ही कि पहले जमानेमें ऐसे नर पिशाचोंका दर्शन कहीं कहीं पर और कभीर होता था और आजकल तो सब जगह और बहुलतासे इन दुष्टोंका दौर दौरा है भगवान ऐसे पिताओंसे बचाये। ५-वीर नारी रानी द्रौपदी "वीरांगना श्री द्रौपदीके, सुयश जलसे लहलहा। यह हो रहा है आजतक, भारत विटप कुसुमित अहा! अद्भुत अलौकिक धर्म उनमें, शौर्य या त्यों आत्मबल। जो घोर दुःखमें भी किये, विध्वंस अरिदल अति प्रबल॥" ____ श्रीमती द्रौपदी राजा द्रुपद तथा महारानी भोगवतीकी प्रिय सुता थी। इनका जन्म माकन्दीपुरमें हुआ था। बाल्यवस्थासे ही इन्होंने बड़े२ शक्तिशाली और पूर्ण बुद्धिमत्ताके कार्य किये थे। इनके रूप, गुण सहनशक्ति आदिका वर्णन अकथनीय है। ये परम विख्यात सती भारतको अपने सुगुणोंकी प्रशंसासे उज्वल कर गई हैं। इनका संक्षेप चरित्र इस प्रकार है जब श्रीमती द्रौपदीजी बाल्यावस्थाको पूर्ण करती हुई यौवनावस्थामें पैर रखने लगी तब राजा द्रुपदको इनके विवाहकी चिंता हुई। राजा विशेष उद्योग कर भी न पाया था कि खलाखल पहाड़ पर रहनेवाले सुरीन्द्र नामके एक विद्याधरने आकर धनुष और एक कन्या राजा द्रुपदको सौंपी और कहा;

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