________________ ऐतिहासिक स्त्रियाँ "वैरागिणी रमणीरत्न" १-श्रीमती राजुलदेवी (राजमती ) धनि धन्य महिलारत्न राजुल, युवा वयमें तप धरा। भववासक सब भोग तज, निर्वाण सुखमें चित्त धरा॥ गिरनारके उस आम्रवनमें, ध्यानमय आसन धरा। जिन उच्च पतिव्रत दिखाकर, सुयश जग-मल हरा॥ श्रीमती राजमती भोजवंशीय राजा उग्रसेनकी कुमारी थी। छोटेपनसे ही इनका लालन-पालन बड़ी योग्यतासे हुआ था। अद्भूत गुण और सौंदर्यके कारण राजकन्या राजमतीकी प्रशंसा यहांतक बढ़ी चढ़ी थी कि इनके पिताको इनके लिये वर खोजनेमें कुछ भी परिश्रम नहीं उठाना पड़ा। अनेक महाराजा इस लक्ष्मीके लिये स्वयं आ आकर याचना करते थे।