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प्रथम पर्व
आदिनाथ-चरित्र तीर्थङ्कर जगत के प्राणियों को पवित्र करते हैं, हम सुन्दर विधि से उन्हीं की उपासना करते हैं।
आदिमं पृथिवीनाथमादिमं निष्प्ररिग्रहम् । आदिमं तीर्थनाथं च ऋषभस्वामिनं स्तुमः॥३॥
जो इस अवसर्पिणी कालमें पहला ही राजा, पहला ही त्यागी मुनि और पहला ही तीर्थङ्कर हुआ है, उस ऋषभदेव स्वामी की हम स्तुति करते हैं।
खुलासा-इस महीका पहला महीपति कौन हुआ ? ऋषभदेव स्वामी ! इस पृथ्वी पर पहला त्यागी कौन हुआ ? ऋषभदेव स्वामी ! पहला तीर्थ नाथ या तीर्थङ्कर कौन हुआ ? ऋषभदेव स्वामी ! ग्रन्थकर्ता-प्राचार्य कहते हैं-इस संसार के पहले राजा, पहले त्यागी और पहले तीर्थङ्कर ऋषभदेवजी हुए हैं। हम उन्हीं सब से पहले नरेश, सब से पहले त्यागी और सब से पहले तीर्थङ्कर की स्तुति करते हैं।
अर्हन्तमजितं विश्व कमलाकर भास्करम् ।
अम्लान केवलादर्श सक्रान्त जगतं स्तुवे ॥४॥ - जिस तरह सूर्य से कमल-वन आनन्दित होता है, उसी तरह जिस से यह सारा जगत् आनन्दित या प्रफुल्लित है, जिसके केवल ज्ञान रूपी निर्मल दर्पण में सारे लोकों का प्रतिबिम्ब पड़ता है, उस अजितनाथं प्रभु की हम स्तुति करते हैं।