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पोयो ॥ ३ ॥
संयममां जे मदमस्तथई इंद्री नही गोपै ते दुख पामें तेऊपर सेचानकहाथीनी कथा कहीजे, जेमसे चानके तापसनो पाश्रम पाडेथी परवसपणुं पो तेज पाम्यो ॥ ४ ॥ क्षुधापरीसह ऊपर हस्तमित्र तथाहस्तभूतमुनि बेऊ बापतीकरानी कथा कहीजे, विहारकरतां अटवीमां बापनेकांटोलाग्यो चालबाशसमर्थ थयेथीतिहांज अणसणकीधोतारेकीकरो चाकरी करवामोह लीधो पासनो पासे रह्यो पिता शुभ परिणामे चवी देव ता थयो पणकीकरो नजाणतो घणा दाफा बेठो रह्यो भूख्यो तरस्यो पण फलादिकनो आहार न कीधो पडे पितानो जीव देवतायें आवी सजतो
आहार करायोडे ॥ ५॥ ॥ ॥ ___ तृषापरीसह ऊपर उजेण नगरीना धनमित्र से ठनी कथा कहीजे, वैरागपामी धनमित्र पोताना बेटा सहित दीक्षा लीधी एकदा विहार करतां बेटा ने तृषा लागी तारे पितायें आनदी मांथी पाणी पीवो पबे शालोयणा लीजो पण बेटे काचो पा णी न पीधी तृषा वेदनाएं शन परिणामे चवी देवथयो पजे आवी पिताने प्रतिबोध दीधो जे साधुये काचो पाणी पीवानो आदेश देसो नही६
शीत परीसह ऊपर नीजद्रबाहुस्वामी ना चार शिष्यनी कथा कहीबे, राजगृह नगरना वसना
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