Book Title: Viveksar
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 135
________________ पचक्रीयें नागीरथनामा पोत्रानेराज्य शापी पोते श्रीअजितनाथ पासे दीदवालीधी तपसंयम पाली केवललई मोोपौंच्या ॥ २॥ ॥ ॥ त्रीजी मघबाचक्रीनी कथा, साबत्थीनामे नग रीमा समुद्रविजय राजकर तेनीभद्रानामे पटराणी तेनीकखें त्रीजोचक्री वीअवतस्यो तेनंनाम म घवा एहबूंदीबूं योवनवयपाम्या पचउदरत्न नव निधीशादि सर्वचक्रवतीनी ऋछिपाम्यो अंते वैरा गपामी दीदालेई तपसंयमपाली पांचलाख वर्षो पायुदायकरी समाधीये मरणपामी त्रीजेदेवलोके गया ॥३॥ ॥ चौथा सनत्कुमारचक्रीनी कथा, कांचनपुरनग रमां विक्रमजसाराजा एकदाप्रस्तावे रेवाडीये नि कल्यो तिहां एकनागदत व्यवहारीनी स्त्रीदेखी मो हितथई बलात्कारे पोताने जनानखाने मोकली तेसाथे विषयसुखमां घणोलिप्तथई सर्वराणी त्यागी दीधी तेथी सर्वराणीये तेस्त्रीनाऊपर मंत्रजंत्रकरी मारीनाखी तारे राजा पागलथई तेने गोदमालेई रीसाणीके एमआणी बेठो मंत्रीये घणोसमकाव्यो पण नमाने तारेत्रण दाफाथया दुर्गधआवा लाग्यो वर्ण फरीगयो तारे राजाठेकाणे शाव्यो विचार करवालाग्यो जेमेखोटो कामकीधो परस्त्रीथीलंपट थयो एमविचारतोवैरागपामी दीक्षालेई तपसंजम पाली सातसागरने आऊखे देवता थयो तिहाथी

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