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से नाचकिया परंतु सूई पैरमे गडने नपाई और सरसोंकी ढेरीनी नही विखरी, यह देखके वहध नुर्धारी प्रसन्नहोय बोला हम तेरे चतुराईपर तुष्ट हैं मांग क्यादें तुऊकों, कोशाबोली यहक्या हमने दुकर कर्मकिया? जिस्से तुम इतने खुशहुए, यह नाचना दुष्कर नहीहै नबाणसे आमतोम्ना दुष्कर है, दुतरतो यहहै जोकि स्थूलभद्रमुनिने किया, यह स्थूलनद्रने पहिले बारहवर्ष हमारेसाथ अनेकभोग नोगे पीछेदीदापाय चारित्रपालते ऊए हमारे इ हां चातुर्मास वासकिया हमने अनेक काम चेष्टा किया तोभी उनकेमनको कुबन्नी विकार बय नही गया, इतना सुनतेही रथीको प्रतिबोध होगया शीघ्र गुरुके पासजाय दीक्षाले चारित्रपालन लगा कोशाभी श्रावकधर्मपालती हुई सुमतिकोपाई ॥ गणानियोग २ स्वजनादि समुदायकी आज्ञा, जै सेविघ्नु कुमारने गच्छके आज्ञासे वैक्रिय रूपरचना करके जिनमतद्वेषी नमुचिनामक पुरोहितको अपने चरणसे मारके सातवें नरकमे भेजा, और आप आलोयणा करके छ होगया ॥ ॥ ॥ । बलानियोग ३ बलवान् पुरुषकीआज्ञा, देवानि योग ४ देवकीआज्ञा, कांतारवृति ५ कांतार घोर वन उसमें वृत्ति कष्टसे जीविका निर्वाह, गुरुनि ग्रह ६ माता पिता कलाचार्यः ज्ञातीयलोग अर धर्मोपदेष्टा इनका निग्रह अर्थात् निबंध' यह ब