Book Title: Viveksar
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 236
________________ ( २३२ ) - - - - - - - तिनाछ प्रबोध्यै व्यधात् ॥ १ ॥ श्रीमद्रामचंद्रगणीके चरणकमलमे भंगके समान आर्यावर्तमे उदित सूराणगच्छके शम्नायी ऋषि नानकचंद्रने विक्रमके उन्नीससेपैतीस १९३५ के संवत्मे कार्तिक शुक्ल षष्ठीकदिन मलिनमति या वकोंको सम्यक्तप्राप्ति होनेके लिये काशीमे तत्व विवेक निर्माणकर्क पुराकिया ॥ ॥ ॥ सम्यक्तनिर्णय इसको कहना साधुओंकी निंदा करना सम्यक्तनिर्णय नही कहावताहै इसलिये ना वविजयका लिखना शयुक्तहै इतिश्री मुनि नान कचंद विरचित स्तत्वविवेकः संपूर्णः ॥ - - - - - - - --- - - सूरेरमृतचन्द्रस्यो दंचद्विजयराज्यके । जैनप्रनाकरे यंत्रमुद्रितो मंजुलादारैः ॥ १॥ BRUDED

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