Book Title: Viveksar
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 213
________________ ( २०९ ) राजा तत्कालउठ खडेहुए और कहा चारोदिशाका राजदिया, सूरीने कहा राज्यको हम क्या करेंगे, राजाने कहा क्या मांगतेहौ ? सूरीने कहा जब मैं छाऊं मेरा उपदेश सुनना, राजाने कहा बहुत अच्छा सूरी अपने स्थान गए, एकदिन सूरी महाकाल महादेवकी पिंडीपर पांवदेके मंदिरमे सूतरहे, पू जाकरनेवाले लोगोने देखके बहुततरे से उठाने चा हा परंतु यह किसी तरहसे न उठे तब राजासे पुकार किया, राजाने कहा ताडना देके उठादो, राजाके प्राज्ञासे इनको चाबुकसे मारने लगे तो कशाघात राणीको लगने लगे, राजाने यह सुना तब श्रर्य और खेदसे पूछातो किसी ने कहा महाकालके मंदिरमे कशाघात निक्षूको देते है राणी को लगता है राजा आप महाकालके मंदिर मे छाए सूरीको देख पहचान के पूछा, कैसेमहादेव के पिंकीपर पांवदेके सूतेहौ ? यहतो पूज्य है स्तुति करने लायक है, सूरीने कहा महादेवतो औरही है, जो महादेव हैं, उसकी स्तुति मैं करताहुं तुम सा वधान होके सुनो, सूरीने कल्याण मंदिर के ११ श्लोक पढे, तब भूकंप और धुवांहो महाकालका लिंगफटके भीतरसे धरणेंद्र सहित पार्श्वनाथ २३ वें तीर्थंकरकी प्रतिमा निकली, आचार्यने स्तोत्र पूरा करके कहा, यह प्रतिमा पहले इहां अवंती सुकुमालके पुत्र महाकालने जिसठेकानेसे उसका

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