Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 4
________________ अष्टप्र. मस्तान // 1 // BUKOBARAS 17.. नी खास प्रेरणावडे उपावी बहार पाडवामां आवेल ने. तेनी एकेक प्रत मुनिराजने, साध्वीने तथा पुस्तकलंडारना रदकोने नंडारमा मूकवा माटे जेट तरीके अर्पण करवामां आवनार . बीजा पण तेना खपी श्रावकलाईडने तेनो स्वरूप किंमतमां लाल मली शके एवी गोठवण करवामां श्रावी . आवा मागधी नाषामां गद्यपद्यमां रचायेला अनेक चरित्रो ने ग्रंथो शुद्ध अश्ने बहार पडे एवी अमारी अंत:करणनी श्वा बे, अने तेना प्राथमिक प्रयत्नरूप आ ग्रंथ बहार पाडवामां आव्यो ... | आ चरित्रग्रंथ खासकरीने चकचकीत आर्टपेपर उपर उपाववामां आवेल बे, तेथी तेमां खर्च वधारे श्रयेल जे. परंतु आवा उत्तम कार्यमां तेनी गणना करवामां श्रावती नथी.. M श्रा चरित्र शुद्ध करीने पाववा माटे त्रण चार प्रतोनी तथा शास्त्री उपरांत बीजा मुनिराजनी पण सहाय लेवामां आवी ने, अने बनी शकती जातमहेनत पण करीने, तेथी आशा ने के बहु स्वरूप अशुधिज मालम पडशे. / आ चरित्रनी जुदी जुदी प्रतमा घणा पागंतरो दृष्टिए पडवाथी तेमांना घणा पागंतरो तो दरेक पृष्ठ नीचे श्राप्या बे, ते उतां मागधी नाषा प्रचारमा उजी थइ जवाथी अने तेमां दरेक शब्दना घणा विकल्पो थता होवाथी क्वचित् कोइ स्थानके जूल जणाय तो एकाएक अशुद्धतानो विचार न लाववो; एम उतां को स्थानके नूल रही गइ होय तो तेने माटे दरगुजर करी विघजाने श्रमने लखवानी कृपा करवी के तेनो योग्य प्रसंगे जपयोग थ शके. बेवटे या चरित्र पाववामां दृष्टिदोषथी अथवा मतिदोषथी जे कां जून श्रइ होय तेने माटे क्षमायाचना करीश्रा टुंक प्रस्तावना समाप्त करवामां आवे . पोष शक्ल-१५ श्री जैनधर्मप्रसारक सजा. सं. 1962. / नावनगर. भा.श्री कैलाससाणर शादि शानमंदिर श्री महार जैन आगममा कला, कोया S A*%- . AASIG (BRAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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