Book Title: Vijaychand Kevali Charitra Author(s): Chandraprabh Mahattar Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha View full book textPage 3
________________ प्रस्तावना. ococcooश्रा चरित्र प्राकृत अथवा मागधी नाषामां गाथा बंदमां रचेलुं छे. आजसुधीमा संस्कृत ग्रंथो केटलाक बहार शपमेला बे, परंतु मागधीमां प्राये कोश्पण ग्रंथ बहार पडेल न होवाथी या बहु रसीक तेमज उपदेशक, परमात्मानी। नक्तिमां तत्पर करनार श्री विजयचंद केवलीनु चरित्र उपावीने बहार पामवानो अमे प्रयास करेलो ने. श्रा चरित्रमा श्री विजयचंद केवलीन चरित्र तो मात्र स्वरूपज . विस्तार मात्र अष्टप्रकारी पूजा उपरनां श्राप दृष्टांतोनो तेमज बेवटे कहेला सुरप्रियनां दृष्टांतनो . आठ कथा नीचे प्रमाणे - 1 गंधपूजा विष जयसुर राजानी कथा. 5 दीपपूजा विषे जिनमती ने धनश्रीनी कथा. 2 धूपपूजा विषे विनयंधरनी कथा. 6 नैवेद्य पूजा विषे हलीपुरुषनी कथा.. 3 श्रदतपूजा विषे कारयुगलनी कथा. 7 फलपूजा विषे पुर्णता स्त्री अने कीरयुगलनी कथा. 4 पुष्पपूजा विषे वणिकसुता लीलावतीनी कथा. जलपूजा विषे वीप्रसुतानी कथा. आ चरित्र श्री विजय वंश (ग) मां श्रयेला श्री अमृतदेवमूरिना शिष्य श्री चंद्रप्रभ महत्तरे संवत 1127 मां श्री देवावर नामना श्रेष्ठ नगरमा रचलुं बे. एकंदर 1063 गाथा बे. कोइ कोइ प्रतमां पांच दश गाथा उडीवत्ती पण जे तेनुं कारण श्रानी अंदर केटलीक देपक गाथा बे ते . | आ चरित्र मागधी जापानुं पण सारं शान आपे तेवू . श्रानुं शुछ गुजराती नाषांतर करावी सुधारीने अमे तैयार कयु के. पाववा पण मांड्यु जे. थोडा वखतमां बहार पमशे, जेथी गुजराती नाषा समजवावाला पण श्रा ग्रंथना रहस्यनो लाल लश् शकशे. KI आ मूल चरित्र श्री बुरानपुरना संघे मोकलेल अव्यनी सहायवमे मुनिराज श्री हंसविजयजी महाराज HERSONAKSHANKARE MIAC.GunratnasuriM.S. Jun Gun AaradhakPage Navigation
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