________________ वनस्पति-विज्ञान हैं। भारत-ऋषियों ने प्रकृति का जैसा अनुभव किया था और उसके साथ जैसा गम्भीर सहयोग किया था, उसका निदर्शन केवल इसी बात से हो सकता है कि उन्होंने प्रकृति की जड़ी-बूटियों से ऐसे-ऐसे उपचार निर्मित किए हैं, जिन पर विश्व आश्चर्य प्रकट करता है / फलतः प्राकृतिक नियमों के कारण वैद्यक-विद्या का आदर कम नहीं हो सकता / वैद्यक प्रन्थों के प्रारम्भ में रोगियों के लिए जो उपदेश दिए गए हैं, प्राकृतिक-चिकित्सा उन्हीं उपदेशों का विश्लेषण मात्र है / इससे यह सिद्ध होता है कि औषध. विज्ञान के अन्तर्गत उपदेशात्मक चिकित्सा-प्रणाली भी सुरक्षित है। ___ प्राकृतिक चिकित्सा से वैद्यक शास्त्र का कोई विरोध नहीं है / वैद्यक-शास्त्र ही प्राकृतिक चिकित्सा का जनक है / स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण ज्ञान वैद्यक-शास्त्र के अन्तर्गत है। प्राकृतिक चिकित्सा का बड़ा-से-बड़ा पक्षपाती भी प्रत्येक रोग को प्राकृतिक चिकित्सा से दूर नहीं कर सकता। इस चिकित्सा से वे ही रोग दूर होते हैं, जिनका कारण सामान्य होता है। प्राकृतिक नियमों के पालन से बड़ी व्याधियाँ भयंकर रूप नहीं धारण कर सकतीं / इसके अतिरिक्त प्रकृति-सेवक सहसा किसी भयंकर व्याधि के चंगुल में नहीं फंस सकता। आयुर्वेद केवल अनुमान सिद्ध निर्जीव विद्या नहीं है, तथा उसमें कोई दोष भी नहीं है / यदि अनुसन्धान करने से चिकित्सा प्रणाली में तथा समय के कारण किसी अन्य आवश्यक अंग में