Book Title: Vanaspati Vigyan
Author(s): Hanumanprasad Sharma
Publisher: Mahashakti Sahitya Mandir

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Page 288
________________ 257 मुलेठी (5) प्रसवपीड़ा में तुलसी का रस पीएँ। (6) वीर्यस्राव पर-तुलसी की मंजरी रात के समय पानी में भिगोकर सुवह मल और छानकर पीना चाहिए। (7) दाद तथा खुजली पर-तुलसी पीसकर मलें / (8) वातरोग में-तुलसी का सेवन करना चाहिए / (8) सब प्रकार के ज्वरों पर-तुलसी, कालीमिर्च और सेंधानमक पीसकर पीना चाहिए / (10) जुकाम में तुलसी की सूखी पत्ती की चाय पीएँ। (11) मुख की विरसता पर-तुलसी खानी चाहिए। मुलेठी सं० मधुयष्टी, हि० मुलेठी, ब० यष्टीमधु, म० जेष्ठमध, गु० जेठोमधनोमूल, क० यष्टिमधु, तै० यष्टीमधुकमु, अ० असलुससूसमुकस्सर रव्येसूस, फा० वखमेहेकूमजू, अ० लिक्योरिस रूटLiquorice Root, और लै० लिकारिस इक्सट्रेक्ट-Liquorice Extract, विशेष विवरण-मुलेठी की लता भारतवर्ष में प्रायः बहुत स्थानों में होती है। दक्षिण यूरोप में भी यह पाई जाती है। कालीमिट्टी तथा उष्णप्रदेश में यह विशेष होती है। इसकी एक दूसरी जाति भी होती है / इसका पेड़ होता है / इस पेड़ की ऊँचाई दो

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