Book Title: Vanaspati Vigyan
Author(s): Hanumanprasad Sharma
Publisher: Mahashakti Sahitya Mandir

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Page 294
________________ भाऊ सं० झावुक, हि० झाऊ, ब० झाऊगाछ, म० झावूतिलव्यावृक्षभेद, गु० झाबू / . . विशेष विवरण-झाऊ के वृक्ष प्रायः नदी के तट और रेतीली जमीनों पर होते हैं / इसके गुच्छे सरों के गुच्छे के समान होते हैं। किन्तु उसके जैसे और उतने लम्बे नहीं होते / इसका पेड़ झाँ देदार होता है / इसकी लकड़ी बहुत गाँठदार और मजबूत होती है / इसमें छोटे-छोटे अनेक फल होते हैं। गुण-झावुकः कटुकस्तिक्तः मूत्रकृच्छविनाशकः ।-शा० नि० झाऊ-कड़वा, तीता तथा मूत्रकृच्छनाशक है। विशेष उपयोग (1) यकृत में-झाऊ की पत्ती पीसकर खानी चाहिए। .. (2) दाह पर-झाऊ पीसकर लगाना चाहिए / (3) पथरी पर-झाऊ पीसकर पीना चाहिए / * समाप्त *

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