Book Title: Vanaspati Vigyan
Author(s): Hanumanprasad Sharma
Publisher: Mahashakti Sahitya Mandir

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Page 290
________________ 259 मुलेठी (3) हिचकी में-मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ चाटें / (4) वमन के लिए-मुलेठी के काढ़ा में राई का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। (5) वीर्यवृद्धि के लिए-मुलेठी का चूर्ण, विषम मात्रा घी और शहद के साथ मिलाकर खाएँ तथा ऊपर से दूध पीएँ। ___(6 ) बलवृद्धि के लिए-मुलेठी और सतावर का चूर्ण विषम मात्रा घी और शहद के साथ मिलाकर खाना तथा ऊपर से दूध पीना चाहिए। (7) मुँह के छालों पर-कंकोल और मिश्री रात के समय चूसना तथा प्रातःकाल मुलेठी का काढ़ा घी और मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। (8) पित्तप्रदर-मुलेठी एक तोला, चावल के धोअन के साथ पीसकर चार तोले मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। (1) वालकों के चर्मरोग पर-गाय के मक्खन के साथ मुलेठी घिसकर तथा कत्था का चूर्ण मिलाकर लगाएँ। (10) कफ सूख जाने पर-मुलेठी के काढ़ा में मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। ___(11) ऊर्द्धश्वास में-मुलेठी और मिश्री एक साथ पकाकर पीना चाहिए / (12) उरतत पर-मुलेठी के काढ़ा में पीपर का चूर्ण और मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।

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