________________ 103 गदहपूर्णा ___ गदहपूर्णा का पत्रशाक-अत्यन्त रूखा तथा कफ, वात, अग्निमांद्य, गुल्म, प्लीहा, और शूल नाशक है। विशेष उपयोग (1) आँखों के जाला में सफेद गदहपूर्णा की जड़, पानी अथवा शहद में घिसकर लगाना चाहिए / (2) नेत्र की खुजली में सफेद गदहपूर्णा की जड़शहद, दूध अथवा भाँगरा के रस में घिसकर लगाना चाहिए / (3) रतौंधी में-सफेद गदहपूर्णा की जड़ काँजी में घिसकर लगाना चाहिए। .. (4) शोफोदर पर-सफेद गदहपूर्णा की जड़ का काढ़ा करके पीना तथा उसे पीसकर शोथ पर लेप करना चाहिए। अथवा गदहपूर्ण और सोंठ पीसकर पीना चाहिए / ( 5 ) खूनी बवासीर में-सफेद गदहपूर्ण की जड़ और हल्दी का काढ़ा करके पीना चाहिए। (6) गुल्म और प्लीहा में-सफेद गदहपूर्ण का पञ्चांग और सेंधानमक पीसकर गोमूत्र के साथ सेवन करना चाहिए / (7) कामला रोग में-सफेद गदहपूर्णा के पञ्चांग का चूर्ण, शहद और चीनी के साथ सेवन करना चाहिए। अथवा काढ़ा करके या हरे का ही रस निकालकर पीना चाहिए / (8) शिरोरोग और ज्वर में सफेद गदहपूर्ण के पंचांग का चूर्ण घी और शहद के साथ सेवन करना चाहिए /