________________ 189 कौंच कौंच रस में स्वादिष्ट, वृष्य तथा वात, क्षय, शीतपित्त, रक्तविकार और दुष्टत्रण नाशक है / गुण-तद्वीजं वातशमनं स्मृतं वाजीकरं परम् ।—भा०प्र० कौंच का बीज-वात को शमन करनेवाला और परम वाजीकर है। गुण-कच्छुरा तुवरा तिक्ता योनिदोषापहा मता। कुष्ठं व्रणं रक्तकोपं नाशयेदिति कीर्तिता ॥-नि०र० छोटी कौंच-कषैली, तीती तथा योनिदोष, कुष्ठ, व्रण और रक्तविकार नाशक है। विशेष उपयोग (1) कृमिरोग में-कौंच के ऊपर के काँटे का थोड़ा रस दूध या गिलोय के रस में दें। ____(2) कौंच के विष पर-घी, मिश्री और शहद चाटें। (3) गर्भधारण के लिए-छोटी कौंच की जड़ और कत्था, दूध के साथ पीसकर पीना चाहिए। (4) धातुपुष्टि के लिए-कौंच का बीज और मखाना का चूर्ण, मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करना चाहिए / (5) मूर्छा में-कौंच का बीज पीसकर लेप करें। (6) श्वास में-कौंच के बीज का चूर्ण प्रातःकाल विषम मात्रा घी और शहद के साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए / ... (7) बद पर कौंच का बीज पीसकर लगाएँ /