________________ 191 कोरैया बरियरा का फल-पाक में स्वादिष्ट; कषैला, रस में मधुर, शीतवीर्य, भारी, स्तम्भक, अत्यन्त लेखन तथा विवन्ध, आध्मान और वात कारक एवं पित्त, कक और रक्तविकार नाशक है / विशेष उपयोग (1) पुष्टि के लिए -बरियरा की ताजी पत्ती नित्य खानी चाहिए। (2) प्रमेह और धातुविकार में-बरियरा के पंचांग को पानी का छींटा देकर पीसकर रस निकाला जाय / बाद दस तोले रस सात दिनों तक दोनों समय पीएँ / (3) घाव पर-बरियरा की जड़ का रस लगाना चाहिए। अथवा कपड़ा की पट्टी बाँधकर इसके रस से तर करनी चाहिए। (4) फोड़ा पकाने के लिए-बरियरा की पत्ती पीसकर बाँधनी चाहिए। (5) स्तम्भन के लिए-बरियरा के बीज का चूर्ण मिश्री मिलाकर खाना चाहिए / कोरैया सं० कुटज, हि० कोरैया, ब० कुटराज, म. कुडा, गु० कडी दुधला, क० कोडसिगेयमरनु, तै० अंकेलु, अ. तिवाज, अॅ. ओवल लीड रोज़ बे-val Leaved Rose Bay, और लै.