________________ 193 रोहिणी कोरैया का फूल-कषैला, अग्निदीपक, तीता, शीतल, वातल, हलका तथा पित्तातीसार, रक्तदोष, कफ, पित्त, कुष्ठ, अतीसार और कृमिनाशक है। विशेष उपयोग (1) अतीसार में-कोरैया की छाल का चूर्ण मट्ठे के साथ सेवन करना चाहिए / (2) नेत्रविकार पर-कोरैया की छाल घिस और गरम करके लेप करना चाहिए। (3) कृमिरोग में-कोरैया की छाल और वायविडंग का चूर्ण गरम जल के साथ लेना चाहिए / (4) रक्तविकार में-कोरैया की छाल, मुंडी के अर्क के साथ पीसकर पीना चाहिए। (5) बवासीर पर-कोरैया का पत्ता पीसकर लगाएँ। रोहिणी ___ सं० रोहिणी, हि० रोहिणी, म० रोहिणी, गु० रोण्य, क० रोहिणी, अ० रेडवोड ट्री-Redwood Tree, और लै० सोयमीडा फेब्रीफ्युगा-Soymida Febrihiga. विशेष विवरण-रोहिणी के वृक्ष प्रायः जंगलों में विशेष होते हैं। इसके पत्ते खिन्नी के पत्ते के समान होते हैं / एक-एक टहनी में सात-सात पत्ते निकलते हैं। इसका फल अत्यन्त सूक्ष्म