________________ 237 पित्तपापड़ा . पित्तपापड़ा-शीतल, तीता, संग्राही, वात को कुपित करनेवाला, हलका, पाक में कड़वा तथा पित्त, कफ, ज्वर, रक्तदोष, अरुचि, दाह, ग्लानि, भ्रम, मद, प्रमेह, वमन, तृषा और रक्तपित्तनाशक है। पित्तपापड़ा का शाक-ग्राही, शीतल, वातकारक, हलका, तीता तथा रक्तविकार, पित्त, ज्वर, तृषा, कफ, भ्रम और दाहनाशक है। विशेष उपयोग (1) पित्तज्वर में पित्तपापड़ा के काढ़ा में पीपर का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए / (2) पित्तविकार पर-पित्तपापड़ा का रस, गाय का दूध और मिश्री पीना चाहिए / ___(3) पित्तज शिरःशूल पर-पित्तपापड़ा और करेला के पत्ते के रस में घी मिलाकर लगाना चाहिए। (4) शोथ में-पित्तपापड़ा का काढ़ा पीना चाहिए / ... (5) सिर की गर्मी पर-पित्तपापड़ा के काढ़ा में शहद मिलाकर पीना चाहिए। (6) वमन में पित्तपापड़ा का अर्क पीना चाहिए / (7) पथरी पर-पित्तपापड़ा का चूर्ण चार तोले, गाय के छाछ के साथ लेना चाहिए / अथवा पित्तपापड़ा का रस, छाछ में मिलाकर पीना चाहिए। --000