Book Title: Vanaspati Vigyan
Author(s): Hanumanprasad Sharma
Publisher: Mahashakti Sahitya Mandir

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Page 270
________________ 239 जीवन्ती अर्शवाले को हित और अग्निदीपक है / चौधारा हड़जोड़भूतोपद्रव और शूलनाशक; एवं अत्यन्त उष्ण तथा आध्मान, वात, तिमिर, वातरक्त, अपस्मार और वातरोग नाशक है। तिधारा हड़जोड़-सारक, हलका, अमिदीपक, रूखा, गरम, मधुर तथा वात, कृमि, अर्श और कफनाशक है / विशेष उपयोग (1) हड्डी टूट जाने पर-तिधारा के अभाव में चौधारा हड़जोड़ काटकर तीन दिनों तक बाँधना चाहिए। पशुओं के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है / (2) वातरोग में-हड़जोड़ की छाल का चूर्ण और उड़द की पीठी का तिल के तेल में बड़ा बनाकर खाना चाहिए। (3) शिरा कटजाने पर-हड़जोड़ को मसलकर बाँधे / ‘जीवन्ती सं० हि० ब० म० जीवन्ती, गु० राडारुडी और क० हिरियाहलि / विशेष विवरण-जीवन्ती अनेक जाति की होती है / इसकी लता होती है। फल डौंगों में आते हैं। इसे तोड़ने से आक के समान दूध निकलता है। १-जीवन्ती, २-वृहज्जीवन्ती, ३-तिक्त जीवन्ती और ४-स्वर्ण जीवन्ती। इस प्रकार यह चार प्रकार की होती है।

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