________________ 151 मूसाकानी मोरशिखा-हलको तथा पित्त, कफ और अतिसार नाशक है। विशेष उपयोग (1) पथरी में—मोरशिखा की जड़, चावल की धोअन के साथ पीसकर पीना चाहिए। (2) दाह पर-मोरशिखा की पत्ती पीसकर लेप करें। (3) अतीसार में मोरशिखा की जड़ का चूर्ण, शहद के साथ देना चाहिए। ____ मूसाकानी ___ सं० मूषाकर्णी, हि० मूसाकानी, ब० उन्दुरकानीपाना, म० उन्दिरकानीभोपनी, गु० उन्दरकनी, क० वल्लिहहे, तै० एलुकचोवचटु, अ० अजानुलफार, फा० गोरोमुष, और लै० इपोमिया रेनीफोर्मिस-Ipomoea Renniformis. विशेष विवरण-मूसाकानी का छत्ता जमीन पर फैलता है / इसके पत्ते मूसा के कान के समान होते हैं। हरेक पत्ते के नीचे जड़ होती है / डाल पतली और लाली लिए होती है। इसमें फल विशेष लगते हैं। इसका पेड़ बहुत छोटा होता है / यह प्रायः सभी प्रान्तों में पाया जाता है / इसके फूल गुलाबी रंग के होते हैं / यह दो प्रकार की होती है। एक तो बगीचों में पाई जाती है, और दूसरी किसी बड़े पेड़ की छाया अथवा खंडहरों में मिलती