________________ वनस्पति-विज्ञान 52 ___(8) जीर्णज्वर-दो माशे गुरिच का सत्त, चार रत्ती पीपर और एक माशा मिश्री, शहद के साथ मिलाकर चाटने से नष्ट हो जाता है। - (10) पांडुरोग में-दो माशे गुरिच का सत्त शहद के साथ मिलाकर चाटें तथा ऊपर से गाय का गरम दूध पीएँ / (11) दाह-गुरिच का सत्त दो माशे और जीरा तथा मिश्री, सबको शहद के साथ मिलाकर चाटना तथा ऊपर से धारोष्ण दूध पीना चाहिए। (12) वातव्याधि में-गुरिच का सत्त दो माशे एक तोला घी के साथ मिलाकर चाटने से लाभ होता है। (13) आमवात और उदर रोग में-गुरिच का सत्त तथा सोंठ दो-दो माशे शहद के साथ मिलाकर चाटना चाहिए / (14) शक्ति-वर्द्धन के लिए-दो माशे गुरिच का सत्त और मिश्री एक साथ फॉक कर ऊपर से गाय का दूध पीएँ / (15) अरुचि-आधी छटाँक अनार के रस के साथ एक माशा गुरिच का सत्त सेवन करने से नष्ट होती है। हाथ से गार-गारकर उसके बड़े-बड़े हिस्से को निकाल दिया जाय / फिर उसे एकदम झोने कपड़े से छान दिया जाय, और उसी तरह बर्तन में छोड़ दिया जाय। जब नीचे सत्त जम जाय, तब पानी को धीरे-धीरे निकाल दिया जाय / बाद उसे किसी कपड़े पर फैलाकर सुखा लिया जाय। सूख जाने पर उसे बूककर रख लिया जाय और आवश्यकतानुसार काम में लाएँ /