________________ वनस्पति-विज्ञान 58 . ___(8) आय एवं कास-श्वास-अडूसा की पत्ती के रस में शहद मिलाकर पीने से नष्ट होता है / कटेरी सं० कंटकारी, हि० कटेरी, भटकटैया, ब० कंटकारी, म० रिंगिणी, गु० बेठी भोरिंगणी, क० नेल्लगुल्लू , तै० रेवटी मुलंगा, और लै० सोलनम् इन्थोकार्प-Solnum Xanthocarpum. विशेष विवरण-यह भूमि पर फैलती है / इसके वृक्ष के प्रत्येक अंग में छोटे-छोटे काँटे होते हैं। इसका फल सुपारी की भाँति गोल-गोल होता है। उसके भीतर बहुत-से बीज होते हैं / इसका फल कच्चा हरा और पक्का पीला होता है। यह दो प्रकार के फूलोंवाली होती है। एक के फूल आसमानी या नीले रङ्ग के होते हैं और दूसरे के फूल सफेद होते हैं / किन्तु सफेद फूलोंवाली कम दीख पड़ती है; और विशेष प्रयत्न करने के बाद कहींकहीं ही मिलती है। सफेद फूलोंवाली को "लक्ष्मणा" कहते हैं / गुण-कण्टकारी कटूष्णा च दीपनी श्वासकासजित् / प्रतिश्यायाति दोषनी कफवातज्वरातिनुत् ॥-रा० नि० कटेरी-कटु, उष्ण, दीपक, श्वास, कास, प्रतिश्याय, कफ, वात और ज्वर नाशक है।