________________ 77 सहिजन होता है / इसके पेड़ वाग, वन और जंगलों में होते हैं / फूलों के भेद से यह तीन प्रकार का होता है। फूल के सफेद, लाल और नीले रंग भेद से यह तीन प्रकार का होता है / सबों में सफेद फूल वाला अधिकता से पाया जाता है / इसके कोमल पत्ते, फल और फल का शाक बनाया जाता है / यह औषध के काम आता है। इसका तेल भी होता है। गुण - शोभाञ्जस्तीक्ष्णनकटुः स्वादूष्णः पिच्छिलस्तथा / जन्तुवतार्तिशूलनश्चक्षुष्णो रोचनः परः॥-रा० नि० सहिजन-तीक्ष्ण, कटु, स्वादिष्ट, उष्ण, चिकना, नेत्रों को हितकारी, रुचिकारक एवं कृमि, वात की पीड़ा और शूल नाशक है। गुण-श्वेतः प्रोक्तगुणो ज्ञेयो विशेषाद्दाहकृद्भवेत् / प्लीहानं विद्रधिं हन्ति व्रणनो पित्तरक्तकृत् ॥-भा० प्र० सफेद सहिजन-के गुण भी कहे हुए सहिजन के समान ही हैं; किन्तु यह विशेष करके दाह कारक, रक्तपित्त कारक और प्लीह, विद्रधि और व्रण नाशक है। गुण-रक्तशिग्रुर्महावीर्यो मधुरश्च रसायनः / - शोथं वातं च पिवं च आध्मानं च कर्फ जयेत् ॥–शा० नि० लाल सहिजन-महावीर्य वाला, मधुर, रसायन तथा शोथ, वात, पित्त, आध्मान और कफनाशक है / - गुण-चक्षुष्यं शिग्रुवीजं च तीक्ष्णोष्णं विषनाशनम् / अवृष्यं कफवातनं तन्नस्येन शिरोतिनुत् ॥–शा० नि०